कितना खुश था मैं माँ
जब मैं तेरे अन्दर था माँ
इस दुनिया से बचाकर कर रखा था तुमने
कितने प्यार से पाला था तुमने
कुछ भी तो नहीं कहा था मैंने
चुपचाप तेरे अन्दर सोया था मैं माँ
तेरे गोद में एक शुकून था
जाने वो अब कहाँ खो गया है माँ
तेरे गर्भ में उस अन्धकार में भी
एक अजब सी शान्ति थी माँ
याद है न ----
इस दुनिया के प्रकाश में आते ही
पहली बार मैं रोया था माँ
वो तुझसे अलग होने का दर्द था माँ
अभी भी तलाशता हूँ इस दुनिया में
तेरे आँचल की छाओं का वो शुकून माँ
पर सर्वत्र अलसाई अन्धकार ही व्यापत है माँ
शायद भगवान् ने तेरी गोद की तरह
दूसरी कोई जगह नहीं बनाई है माँ
सुना है तुझसे जुदा होते ही
खुदा ने मेरी मौत का वक़्त मुकरर किया था
अब तो बस उस वक़्त का इंतज़ार है माँ
जब मैं फिर से तेरे गोद में शमा जाऊं माँ
फिर से वो छाँव और वो शुकून पाऊं माँ
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