गोआ , वो नाम जिसको सुनते ही हर आदमी के मन में एक ही छवि उभरती है मौज मस्ती और एंजाय । हो भी क्यों ना हिंदुस्तान से ही नही बल्कि पूरी दुनिया से लोग यहां पर आते हैं । विदेशी यहां के माहौल और समुद्र तटो को अपने देश जैसा ही मानते हैं और यहां पर आकर रच बस जाते हैं । हिंदुस्तान की बहुत कम जगहे हैं जहां पर उन्हे बीच पर अर्धनग्न नहाने , अर्धनग्न घूमने और पीने की छूट है । कुछ कुछ ऐसा ही भारत की युवा पीढी भी चाहती है और इसीलिये बिना रोक टोक के यहां पर घूमने जाती है ।
कई चीजो में बदनाम भी है गोआ जैसे सेक्स और नशे की यहां पर भरमार है । उसके बावजूद इस बात से कोई इंकार नही कर सकता है कि गोआ एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जिस पर प्रकृति खुल कर मेहरबान है ।
हमने भी अपने दक्षिण भारत के यात्रा कार्यक्रम में इस जगह का टूर बनाया था । बैंगलौर में कन्याकुमारी से लाई गाडी को छोडने के बाद हमने ट्रेन पकडी जिसने हमें सुबह सवेरे गोआ में उतार दिया । हम सब नौजवान तो थे नही । हमारे साथ दो युगल थे जो कि 50 और 60 की उम्र वाले थे फिर भी हमने काफी आनंद उठाया इस टूर का । यहां स्टेशन पर उतरते ही सबसे पहले कमरे की खोज शुरू हो गयी । हम सोच ही रहे थे कि इतने में दो एजेंट मिले और उन्होने हमसे कमरे के बारे में पूछा । हमने हामी भरी तो उन्होने कहा कि हम कमरा दिखाते हैं । हमने पूछा कि कैसे दिखाओगे तो उन्होने बोला कि आप दो लोग हमारे साथ दो मोटरसाईकिल पर बैठ जाओ और हम कमरा दिखाकर वापस आपको यहीं पर छोड देंगें ।
हम जिस स्टेशन पर उतरे थे यहां पर एक मोनो रेल का प्रोजेक्ट शुरू किया गया था पायलट के तौर पर और इसमें रेल उल्टी लटक कर चलनी थी पटरी के नीचे पर जैसे ही इसका प्रयोग शुरू हुआ ये गिर गयी और उसके बाद आज तक बंद ही पडी है । खैर हम उनकी बाइक पर बैठ गये तो पता चला कि यहां पर बाइक एक टैक्सी के रूप में इस्तेमाल की जाती है । आप बाइक चलाते इन लोगो को हाथ दो और ये रोक कर आपको मनचाही जगह पर पहुंचा देंगें ।ये सस्ता भी रहता है । हमें स्टेशन से थोडी ही दूर पर ले जाया गया जहां पर हमें एक दो होटल जो कि आसपास ही थे वे दिखाये गये । एक होटल के बाहर तो मछली और मीट की दुकान थी जिसकी वजह से हमने उसे नही लिया । दूसरे वाले में भी अंदर रैस्टोरैंट था और उसमें से भी ऐसी ही गंध आ रही थी पर अच्छी बात ये थी कि हमारे कमरे भू तल पर थे और उसमें जाने के लिये रैस्टोरैंट नही दिखता या पडता था । हमें यहां पर केवल एक रात रूकना था क्योंकि कल देापहर को 3 बजे हमारी फिर से ट्रेन थी ।
गोआ में हमने काफी कम समय दिया था पर चलो जैसा भी सही इसी हिसाब को देखते हुए हमने तुरंत कमरा लिया और नहाना धोना किया । हम अपना सारा समय कमरा ढूंढने में नही बिताना चाहते थे । हमें यहां पर रात को आना था और सोकर उठकर सुबह सवेरे निकल जाना था । ये कमरा स्टेशन के पास भी था और 500 रूपये कमरे के हिसाब से सस्ते भी थे । हमने बाइक वालो को धन्यवाद दिया । कमीशन तो उन्हे होटल से मिल ही जाना था पर हमने उन्हे पूछा कि कोई टूर पैकेज वगैरा हो दिन भर घूमने का तो बताओ तो उन्होने कहा कि आप तैयार हो जाओ और हम आपको लेकर चलेंगें । जैसा कि वादा हुआ था सबसे पहले हम दो पुरूष तैयार हुआ और जब तक महिलाऐं तैयार होती तब तक हम पैकेज तय कर आये जिसमें आज शाम तक का कार्यक्रम था और काफी सारी चीजे थी ।
एक बस हमें लेकर जानी थी । इस मिनी बस में एक गाइड भी था जो कि हमें दिन भर में कई जगहे घुमाता और शाम को यहीं पर छोड देता । इसलिये हमने ये पैकेज बुक कर लिया ।तो इस पैकेज मे हमें एक मिनी बस मिली । चूंकि ये कुछ देर से शुरू होने वाला पैकेज था और हमें होटल लेने और फ्रेश होने में काफी समय लगा । बस सबसे पहले हमें ले गयी एक बीच पर । बीच पर जाने और आने में ही दिन का काफी समय लग गया । उपर से हमारी बस का गाइड भी पूरा बातूनी था । उसने ज्यादातर समय अपनी ही तारीफ में बिताया । उसने मुझे अपनी घडी उतार कर दी गिफट के रूप में । मैने बहुत मना किया पर वो नही माना तो मैने रख ली और उसके बाद दी ही नही । बहुत झाडता होगा । सोचता होगा कि मै शाम को वापस दे दूंगा या फिर उसके बदले उसे कुछ दूंगा पर नही उसे पता नही था कि यूपी वाले से पाला पडा है ।
सबसे पहले हम बीच पर गये । बीच का नाम शायद अंजुना था या वाघा मुझे याद नही । हम इतने लम्बे टूर पर थे कि 17 वे दिन की बात थी और इतने खूबसूरत जगह देखी कि इस वक्त ज्यादा ध्यान बस घूमने पर ही था । वैसे भी उस वक्त मै ब्लाग नही लिखा करता था जो याद रखने की कोशिश भी करता । पर बीच पर हमने काफी आनंद लिया । पहला बीच जिस पर हम पहुंचे वहां पर बीच पर काफी भीड थी । बीच पर जाने के रास्ते में बाजार भी था । विदेशियो की भीड थी ज्यादातर विदेशी हिप्पी की तरह थे । विदेशी आदमी तो गर्मी के मारे शर्ट उतारकर ही घूम रहे थे । अपनी हिंदुस्तानी लडकियां और शादीशुदा औरते भी कम नही थी । वे भी विदेशियो से कपडे उतारने की रेस में थी । काफी देर बीच पर समय बिताया । एक जगह छांव सी देखकर एक समुद्र किनारे पडी बैंच पर बैठना चाहा तो पता चला कि एक घंटे के सौ रूपये लगेंगें । हम तो खडे खडे ही घूमते रहे ।
बीच पर एक निश्चित समय दिया गया था इसलिये उसके बाद दूसरे बीच पर गये । यहां पर बीच काफी नीचे जाकर था । बीच पर जाने के लिये काफी नीचे उतरना पडता पर एक बात तो थी कि इतनी नीचे जाने से पहले उस बीच के फोटो इतनी उंचाई से लेने मे बडा आनंद आ रहा था । उसके बाद वैसे तो हम शार्क देखने और फेनी की दुकान पर गये पर इस पोस्ट में फोटो के सामंजस्य को देखते हुए मैने इस पोस्ट में क्रूज टूर की फोटो अपलोड की हैं तो इस बारे में ही बात करेंगें
क्रूज टूर मांडोवी नदी के किनारे से चलता है और ये अक्सर शाम को चलता है । इस नदी में चलने वाले क्रूज अक्सर शाम को ही चलते हैं । शाम को ये क्रूज धुंधलका होने से कुछ पहले चलते हैं और शाम होते होते समुद्र के मुहाने तक पहुंच जाते हैं । फिर वापसी का सफर शुरू होता है । हमारा जो क्रूज था वो तीन मंजिला था । उसमें नीचे की मंजिल तो शायद खाली थी और बीच की मंजिल में रैस्टोरैंट था । उपर की मंजिल पर काफी सारी कुर्सिया थी । सामने स्टेज सजा था जिस पर दो एंकर थे और बीच बीच में वे गोआ के लोकल नृत्य का प्रदर्शन करने के लिये वहां के लोकल कलाकारो को बुलाते थे । उन्होने उन नृत्यो के अलावा सबसे पहले बच्चो को काल किया । जब बच्चे डीजे पर नाचने लगे तो मां बाप की खुशी देखते ही बनती थी । उसके बाद उन्होने केवल महिलाओ को बुलाया और यहां पर महिलाऐं तो खुल कर नाची । इस बीच धीरे धीरे क्रूज अपने सफर की ओर बढता रहा । हमें समझ नही आ रहा था कि कौन सी चीज पर हम ध्यान ज्यादा लगायें । सामने समंदर में हो रहे सूर्यास्त पर , अपने सामने सजे डांस स्टेज और डीजे पर या आस पास दिखते शहर और नदी से गुजर रहे अन्य क्रूज पर से । कुल मिलाकर ये एक अलग ही नजारा था जो कि ना भूलने वाला था । शाम को वहां से लौटने से लेकर आज तक इसे भुलाया नही जा सका ।
सबसे पहले हम बीच पर गये । बीच का नाम शायद अंजुना था या वाघा मुझे याद नही । हम इतने लम्बे टूर पर थे कि 17 वे दिन की बात थी और इतने खूबसूरत जगह देखी कि इस वक्त ज्यादा ध्यान बस घूमने पर ही था । वैसे भी उस वक्त मै ब्लाग नही लिखा करता था जो याद रखने की कोशिश भी करता । पर बीच पर हमने काफी आनंद लिया । पहला बीच जिस पर हम पहुंचे वहां पर बीच पर काफी भीड थी । बीच पर जाने के रास्ते में बाजार भी था । विदेशियो की भीड थी ज्यादातर विदेशी हिप्पी की तरह थे । विदेशी आदमी तो गर्मी के मारे शर्ट उतारकर ही घूम रहे थे । अपनी हिंदुस्तानी लडकियां और शादीशुदा औरते भी कम नही थी । वे भी विदेशियो से कपडे उतारने की रेस में थी । काफी देर बीच पर समय बिताया । एक जगह छांव सी देखकर एक समुद्र किनारे पडी बैंच पर बैठना चाहा तो पता चला कि एक घंटे के सौ रूपये लगेंगें । हम तो खडे खडे ही घूमते रहे ।
बीच पर एक निश्चित समय दिया गया था इसलिये उसके बाद दूसरे बीच पर गये । यहां पर बीच काफी नीचे जाकर था । बीच पर जाने के लिये काफी नीचे उतरना पडता पर एक बात तो थी कि इतनी नीचे जाने से पहले उस बीच के फोटो इतनी उंचाई से लेने मे बडा आनंद आ रहा था । उसके बाद वैसे तो हम शार्क देखने और फेनी की दुकान पर गये पर इस पोस्ट में फोटो के सामंजस्य को देखते हुए मैने इस पोस्ट में क्रूज टूर की फोटो अपलोड की हैं तो इस बारे में ही बात करेंगें
क्रूज टूर मांडोवी नदी के किनारे से चलता है और ये अक्सर शाम को चलता है । इस नदी में चलने वाले क्रूज अक्सर शाम को ही चलते हैं । शाम को ये क्रूज धुंधलका होने से कुछ पहले चलते हैं और शाम होते होते समुद्र के मुहाने तक पहुंच जाते हैं । फिर वापसी का सफर शुरू होता है । हमारा जो क्रूज था वो तीन मंजिला था । उसमें नीचे की मंजिल तो शायद खाली थी और बीच की मंजिल में रैस्टोरैंट था । उपर की मंजिल पर काफी सारी कुर्सिया थी । सामने स्टेज सजा था जिस पर दो एंकर थे और बीच बीच में वे गोआ के लोकल नृत्य का प्रदर्शन करने के लिये वहां के लोकल कलाकारो को बुलाते थे । उन्होने उन नृत्यो के अलावा सबसे पहले बच्चो को काल किया । जब बच्चे डीजे पर नाचने लगे तो मां बाप की खुशी देखते ही बनती थी । उसके बाद उन्होने केवल महिलाओ को बुलाया और यहां पर महिलाऐं तो खुल कर नाची । इस बीच धीरे धीरे क्रूज अपने सफर की ओर बढता रहा । हमें समझ नही आ रहा था कि कौन सी चीज पर हम ध्यान ज्यादा लगायें । सामने समंदर में हो रहे सूर्यास्त पर , अपने सामने सजे डांस स्टेज और डीजे पर या आस पास दिखते शहर और नदी से गुजर रहे अन्य क्रूज पर से । कुल मिलाकर ये एक अलग ही नजारा था जो कि ना भूलने वाला था । शाम को वहां से लौटने से लेकर आज तक इसे भुलाया नही जा सका ।
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